संगीत साहित्य मंच की 91 वीं विशेष काव्यगोष्ठी
संगीत साहित्य मंच की 91 वीं विशेष काव्यगोष्ठी
* संवाददाता
मुंबई: साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था संगीत साहित्य मंच की 91 वीं विशेष काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी मुख्य अतिथि शारदा प्रसाद दुबे की उपस्थिति में,कवि एवं पत्रकार विनय शर्मा दीप की अध्यक्षता और उमेश मिश्र प्रभाकर के संचालन में सम्पन्न हुई।
यह आयोजन संस्था के वरिष्ठ कवि एवं हृदयांगन साहित्यिक संस्था के संस्थापक अध्यक्ष विधुभूषण त्रिवेदी के आवास पर संपन्न हुआ।
गोष्ठी के प्रारंभ में सर्वप्रथम पुष्प स्वरूप सदाशिव चतुर्वेदी "मधुर" ने "वन्दना वन्दना मैं करूँ वंदना" वंदना माँ वीणा पाणी के चरणों मे अर्पित किया। मंचसंचालन में दक्ष उमेश मिश्र "प्रभाकर" ने सर्वप्रथम श्रृंगार रस के कवि अरुण मिश्र "अनुरागी" को आमन्त्रित किया।अनुरागी ने "फूलों को भी देखा है पसीने से तर ब तर,मेरी जान भी रहती है जमाने से बेखबर" का सुन्दर प्रस्तुतिकरण करके गोष्ठी में छायावाद का रंग भर दिया।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में वरिष्ठ कवि शारदा प्रसाद दुबे ने "हमारी रसना नित पुकारे प्रभू तुम्हारा प्यारा प्यारा नाम" प्रस्तुत कर महफ़िल को भक्ति भाव से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मधुर ने एक भजन "बनाये हो दिल को गर ठिकाना,किराया उसका चुकाना होगा" को प्रस्तुत कर ख़ूब वाहवाही लूटी।अगली कड़ी में वरिष्ठ कवि श्रीराम शर्मा ने श्रृंगार रस के भोजपुरी पारम्परिक गीत "निदरिऔ न लागल हे रतिया" का गायन कर महफ़िल को रंगा रंग कर दिया।
भा.ज.भा.के स्थानीय अध्यक्ष वरिष्ठ कवि रामप्यारे रघुवंशी ने"अबतो सच सच बोल मनवाँ,राम नाम रस घोल"भक्ति भाव की भजन का गायन कर ख़ूब तालियां बटोरी।
गोष्ठी के अगले पायदान पर वरिष्ठ कवि तिलक राज खुराना ने "मन की पीड़ा चाहती है ढलना किसी आकार में"का जोरदार तालियों के बीच सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया।
संगीत साहित्य मंच के संयोजक रामजीत गुप्ता ने रामायण के विशेष पात्र रावण द्वारा आज के समाज पर टिप्पड़ी को लेकर की गई रचना का मुक्त स्वर से सराहनीय गायन किया।
इसी क्रम में हृदयांगन के अध्यक्ष विधुभूषण त्रिवेदी ने"उलझन में जीवन बीत गया,धन से जन से"एक मनमोहक भजन प्रस्तुत कर आयोजन में चार चाँद लगा दिया।तत्पश्चात उमेश चंद्र मिश्र ने "इस धरती से उस अम्बर तक का विजय पताका फहराया" गाकर सभी के मन को मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विनय शर्मा दीप ने एक मुक्तक के बाद में"इक बेरी आव माई हमरे तू गाँव,दुवरे मोरे बाटे एगो निमिया के छांव"भोजपुरी देवीगीत का सुन्दर गायन किया।कार्यक्रम के दौरान हर किसी व्यक्ति को अपनी नवीनतम रचनाओं को खुलकर प्रस्तुत करने और तालियाँ बजाकर एकदूसरे का हौसला बढ़ाने का आनन्द कुछ अनूठा ही रहा।
कार्यक्रम सायं 6-00 बजे से रात 9-00 बजे तक दो सत्रों में सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विनय दीप ने अपने संबोधन में कार्यक्रम की भूरि -भूरि प्रशंसा की।
संगीत साहित्य मंच के बैनर तले हृदयांगन राष्ट्रीय साहित्य संस्था द्वारा मुल्ला बाग, मानपाडा घोड़बंदर रोड ठाणे में विनय शर्मा दीप को गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान-2021 एवं अभिज्ञान शाकुंतलम् सम्मान 2021 से संस्थापक विधु भूषण त्रिवेदी विद्यावाचस्पति के द्वारा,रामप्यारे सिंह रघुवंशी एवं रामजीत गुप्ता सहित उत्कृष्ट साहित्यकारों के बीच सम्मानित किया गया।
अंत मे संस्था के सह-संयोजक सदाशिव चतुर्वेदी ने सभी को धन्यवाद देकर आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम का समापन किया।